बिहार सरकार ने सभी सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर लगवाना अनिवार्य किया है। 30 नवंबर तक डेडलाइन तय, समय पर काम न पूरा होने पर बिजली कनेक्शन काटे जाएंगे। जानें मीटरिंग एजेंसियों पर सरकार की सख्ती और ताजा अपडेट।
बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से जारी, 30 नवंबर तक की डेडलाइन तय।
बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। राज्य के ऊर्जा विभाग ने सभी सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर लगाने की आखिरी तारीख 30 नवंबर निर्धारित की है। समय पर काम पूरा न करने वाली मीटरिंग एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें ब्लैकलिस्टिंग और पेनाल्टी भी शामिल है।
राज्य के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल ने मीटरिंग एजेंसियों की प्रगति की समीक्षा करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यदि 30 नवंबर तक किसी सरकारी भवन में स्मार्ट मीटर नहीं लगाए गए, तो संबंधित भवनों का बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा।
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समीक्षा बैठक में दिए गए सख्त निर्देश।
17 सितंबर को हुई समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी एजेंसियों को 30 नवंबर तक सभी सरकारी भवनों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के सख्त निर्देश दिए थे। इसी के तहत ऊर्जा सचिव ने दक्षिण और उत्तर बिहार में कार्यरत एडवांस्ड मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर्स (AMI) की प्रगति की समीक्षा की।
बैठक में साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार पावर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक भी शामिल हुए। मीटिंग के दौरान हाई प्रिंट, एनसीसी, अदानी पावर, सिक्योर मीटर्स लिमिटेड और इइएसएल जैसी एजेंसियों को तय समय सीमा के भीतर काम पूरा न करने पर ब्लैकलिस्ट करने और पेनाल्टी लगाने के आदेश जारी किए गए।
सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर न लगाने पर होगी कार्रवाई।
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 30 नवंबर तक स्मार्ट मीटर न लगाने की स्थिति में उन भवनों के बिजली कनेक्शन काट दिए जाएंगे। इसके साथ ही, सरकारी भवनों में चेक मीटर लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि उपभोक्ताओं के बीच किसी भी तरह की शंका न रहे।
कांग्रेस और पप्पू यादव ने किया विरोध।
स्मार्ट मीटर लगाने के इस अभियान का विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध भी हो रहा है। राजद, कांग्रेस और सांसद पप्पू यादव इस योजना के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। हाल ही में कांग्रेस ने पटना में एक रैली भी आयोजित की, जिसमें स्मार्ट मीटर के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
सरकार की सख्ती और जनहित में उठाए गए कदम।
हालांकि, राज्य सरकार अपनी योजना पर अडिग है और जनता के हित में यह कदम उठाया गया है। स्मार्ट मीटर से न केवल बिजली की चोरी रुकेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी बिजली बिल की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
निष्कर्ष
बिहार में 30 नवंबर तक सभी सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर लगना अनिवार्य है। सरकार द्वारा दी गई डेडलाइन के बाद कार्रवाई की जाएगी, जिससे राज्य की बिजली आपूर्ति और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार आएगा।